
शरीर को लचीला कैसे बनाएं (How to Make Body Flexible) यदि किसी व्यक्ति का शरीर बहुत लचीला है और वह अपने मुताबिक उसे जैसे चाहें वैसे मोड़ सकता है तो हम उसकी बॉडी को देखकर आश्चर्य चकित हो जाते है और हम भी यह सोचते है कि शायद हमारी बॉडी में भी इसी प्रकार का लचीलापन होता है। जिनकी बॉडी फेलिक्सिबल अर्थात लचीली होती है वह उनके वर्षों के योग अभ्यास और एक्सरसाइज़ का परिणाम है। और लचीलेपन हमारे अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य के प्रमुख तत्वों में से एक माना जाता है। हालांकि उम्र बढ़ने,गतिहीन जीवन शैली, तनाव या अनुचित मुद्रा जैसे कई कारक लचीलेपन के स्तर को समय के साथ बिगाड़ सकते हैं। यदि आप शरीर के लचीलेपन को बढ़ावा देना चाहते हैं तो नियमित रूप से योग का अभ्यास करना आपके लिए सर्वोत्तम तरीकों में से
एक हो सकता है। अपने लचीलेपन को बढ़ाने के साथ-साथ, विशिष्ट योग मुद्रा का अभ्यास करने से आपको मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने और तनाव -चिंता की भावनाओं को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
योगाचार्य के अनुसार सभी लोगों को अपने संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए रोजाना योगासनों का अभ्यास जरूर करना चाहिए। योग न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखने में आपके लिए मददगार माने जाते हैं। आइए आगे की स्लाइडों में ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे में जानते हैं, जिनका नियमित रूप से अभ्यास करना शरीर को फिट और लचीला बनाए रखने में मदद कर सकता है।
शरीर को लचीला कैसे बनाएं (How to Make Body Flexible)
सूर्य नमस्कार
जैसे कि हम आप सभी को सूर्य नमस्कार करने की सलाह देते है लेकिन सूर्य नमस्कार के शरीर को बहुत से लाभ है। परंतु सूर्य नमस्कार से बेहतर शायद ही कोई अन्य योगासन होगा जो आपको लचीला बनाए। इसको करते समय आप कई आसन एक साथ करते हैं और उसके कारण आपका शरीर फुर्तीला एवं लचीला बन जाता है। आप इसके माध्यम से अपने शरीर को लचीला बना सकते हैं जो आपके लिए अच्छा रहेगा।
कैसे करें सूर्य नमस्कार
प्रणाम आसन : योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को छाती के पास नमस्कार की मुद्रा में रखें।
हस्तउत्तानासन : अब सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाकर कान के पास सटाएं और पीछे झुकने का प्रयास करें।
पादहस्तासन : इसके बाद सांस छोड़ते हुए पेट के बल झुकें और हथेलियों को जमीन पर सटाने की कोशिश करें। साथ ही घुटनों को बिना मोड़े माथे को घुटने से स्पर्श करने का प्रयास करें।
अश्व संचालनासन : फिर सांस लेते हुए दाएं पैर पर बैठ जाएं और बाएं पैर को पीछे ले जाएं। इस मुद्रा में बायां घुटना जमीन पर लगाएं।
पर्वतासन : अब सांस छोड़ते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं और शरीर को बीच से उठाएं। इस मुद्रा में अपनी एड़ियों को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करें और बाजुओं को सीधा रखें।
अष्टांगासन : इसके बाद सांस लेते हुए जमीन पर लेट जाएं। इस अवस्था में सिर्फ ठुड्डी, छाती और घुटने ही जमीन से स्पर्श करेंगे। पेट और कूल्हों को उठाकर रखें।
भुजंगासन : अब बिना सांस लिए या छोड़े ही कमर से ऊपर के हिस्से को नाभी तक उठाएं। इस दौरान हथेलियां जमीन से सटी रहेंगी।
पर्वतासन : इसके बाद सांस छोड़ते हुए फिर से शरीर को बीच से उठाएंगे और एड़ियों को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करेंगे। साथ ही बाजुओं को सीधा रखेंगे।
अश्व संचालनासन : फिर सांस लेते हुए बाएं पैर को आगे लाकर उसके बल बैठ जाएं और दाएं पैर को सीधा रखें। दाएं घुटने को जमीन से सटाएं।
पादहस्तासन : अब सांस छोड़ते हुए दाएं पैर को भी आगे ले आएं और हथेलियों को जमीन से व माथे को घुटनों से सटाकर रखें।
हस्तउत्तानासन : फिर सांस लेते हुए हाथों व शरीर को ऊपर उठाएं और पीछे झुकने का प्रयास करें।
प्रणाम आसन : अंत में सीधे होते हुए नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं।
इस प्रकार सूर्य नमस्कार का एक चक्र पूरा हो जाएगा। इस तरह के एक बार में 20-25 चक्र कर सकते हैं।
सूर्य नमस्कार करने के फायदें
सूर्य नमस्कार करने से आपका स्वास्थ, स्वस्थ और हृष्ट- पुष्ट होता है।
सूर्य नमस्कार करने से पाचन तंत्र बेहतर होता है
सूर्य नमस्कार करने से पेट की चर्बी घटती है।
सूर्य नमस्कार शरीर को डीटॉक्स करता है।
सूर्य नमस्कार करने से मन की हर चिंता और तनाव दूर होता है।
प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से शरीर में लचीलापन बढ़ता है।
सूर्य नमस्कार करने से मासिक-धर्म में नियमितता आती है।
सूर्य नमस्कार करने से अंतर्दृष्टि (इंट्यूशन) विकसित होती है।
सूर्य नमस्कार से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है
सूर्य नमस्कार मन शांत करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है।
कैसे करें वीरभद्रासन
इस आसन को एकदम शुरूआती आसन कहा जाता है।
अपने पैरों को एक साथ जोड़ें।
अपनी पीठ को सीधा रखें, और आपकी ठोड़ी थोड़ा ऊपर उठा लें।
अब, अपनी ऊर्जा के केंद्र को महसूस करते हुए संतुलन बनाएं और अपने दोनों हाथों को अपने साइड्स पर रखें।
अब अपने शरीर के वजन को महसूस करने के लिए धीरे-धीरे श्वास लें और छोड़ें।
आपका वजन आपके दोनों पैरों पर बराबर होना चाहिए।
ऐसा अभ्यास कम से कम 10 – 12 दोहराए।
वीरभद्रासन के फायदें
इस आसन को नियमित रूप से करने से एड़ी, जांघें, कंधे, पिंडली, हाथ एवं पीठ मजबूत होते हैं।
यह ऐसा आपके शरीर को लचीला बनाने में अहम योगदान देते हैं। इनका नियमित अभ्यास शरीर को एक दम फिट बना देता है।
यह आपके मन-मस्तिष्क को भी शांत कर आपका फोकस बढ़ाने में मददगार हो सकता है।
यह आसन छाती को खोलता है, जिससे आपके लिए सांस लेने में आसानी हो जाती है।
यह पीठ के निचले हिस्से में दर्द और स्टिफनेस से छुटकारा दिला सकता है।
यह पूरे शरीर को शक्ति प्रदान करता है और संतुलन भी बढ़ाता है।
कैसे करें कैट काऊ पोज या मार्जरी एक्सरसाइज़
सबसे पहले फर्श पर दोनों घुटनों और दोनों हाथों को टेक कर बिल्ली जैसी मुद्रा बनाएं।
जांघों को ऊपर की ओर सीधा करके पैर के घुटनों पर 90 डिग्री का कोण बनाएं।
अब लंबी सांस लें और सिर को पीछे की ओर झुकाते हुए टेलबोन को ऊपर उठाएं।
फिर सांस छोड़ते हुए सिर को नीचे की ओर झुकाएं और ठुड्डी को छाती से लगाने का प्रयास करें। इस प्रक्रिया को दोहराएं।
कैट काऊ पोज या मार्जरी एक्सरसाइज़ के फायदें
कैट काऊ पोज का नियमित रूप से अभ्यास करना आपके कोर, गर्दन, कंधों और रीढ़ में गतिशीलता और लचीलेपन में सुधार के लिए सबसे बेहतर तरीका हो सकता है।
कैट काऊ पोज का अभ्यास कमर से लेकर सर्वाइकल तक के लिए विशेष लाभदायक माना जाता है।
शरीर के संतुलन में सुधार करने के साथ, रीढ़ और गर्दन को मजबूत करने और उन्हें फैलाने, कूल्हों, पेट और पीठ को स्ट्रेच करने में भी इस योग को कारगर माना जाता है।
कैसे बनाएं खुद को आकर्षित और एक दम फिट बॉडी ( How to get a silm hot body in Hindi)
कैसे करें धनुषासन योग
योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं और सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और हाथों से टखनों को पकड़ने का प्रयास करें।
अब सांस लेते हुए सिर, छाती और जांघों को ऊपर उठाने का प्रयास करें।
आप सुविधानुसार शरीर को जितना ऊपर उठा सकते हैं उठाएं।
अंतिम अवस्था में पहुंचकर शरीर का पूरा भार पेट के निचले हिस्से पर डालने का प्रयास करें।
इसके बाद दोनों पैरों के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास करें।
कुछ देर इसी मुद्रा में रहते हुए धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते रहें।
अंत में लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में लौट आएं।
एक बार में इस तरह के चार-पांच चक्र किए जा सकते हैं।
धनुषासन योग के फायदें
शरीर की कई मांसपेशियों को फैलाने में मदद करती है। यह आपकी मुख्य मांसपेशियों के साथ-साथ आपकी पीठ, छाती, ग्लूट्स और पैरों की मांसपेशियों के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
कमर और पीठ के दर्द को दूर करने के साथ छाती की मांसपेशियों को खोलने में भी इस योग के नियमित अभ्यास को काफी लाभदायक माना जाता है।
कैसे करें हलासन योग
इसे करने के लिए कमर के बल लेट जाएं और हाथों को शरीर के साथ सटाकर रखें।
अब धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर उठाएं और 90 डिग्री के कोण तक ले आएं।
अब सांस छोड़ते हुए पैरों के साथ-साथ पीठ को भी उठाएं और पैरों को पीछे ले जाते हुए अंगूठे को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करें।
यह मुद्रा खेत में जोते जाने वाले हल के समान होती है।
जब तक संभव हो इसी मुद्रा में रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आएं और विश्राम करें। ऐसा तीन-चार बार कर सकते हैं।
हलासन योग के फायदें
यह मध्यवर्ती स्तर का योगासन आपके गर्दन, कंधों और रीढ़ में तनाव को कम करने में मदद करता है। शरीर के लचीलेपन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पूरे शरीर की स्ट्रेचिंग के लिए भी इस योग के अभ्यास को फायदेमंद माना जाता है। हालांकि अगर आपको अपनी गर्दन, पाचन या रक्तचाप की कोई चिंता है तो इस मुद्रा को करने से बचें।
कैसे करें अधोमुख श्वानासन
सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। इसके बाद दोनों हाथों को सीधे ऊपर उठाएं। हाथ की मुट्ठियां बंद नहीं होनी चाहिए, पंजे पूरे खुले हों।
कमर को धीरे-धीरे झुकाएं। शरीर से 90 डिग्री का कोण बनाएं। ध्यान रहे, घुटने एकदम सीधे होने चाहिए और हाथ सीधे।
अब हाथों को धीरे-धीरे जमीन की ओर लाएं और हाथ के पंजे जमीन से सटा दें। कमर वैसे ही उठी हो और शरीर से एक त्रिकोण बनाएं।
अधोमुख श्वानासन के फायदें
अधोमुख श्वानासन से शरीर समेत मांसपेशियां लचीली हो जाती हैं।
कंधे के जोड़ फैलते हैं और छाती भी आगे की ओर फैलती है, जिससे छाती में काफी राहत मिलती है।
मांसपेशियों में ताकत आती है और उसमें खिंचाव भी आता है।
कमर की हड्डी भी इससे मजबूत होती है।
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